Best Dard Bhari Shayari in Hindi
हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका हमारी शायरी वेबसाइट पर आज के जमाने मे प्यार की कोई बी कदर नहीं करता है| आज मे आपको अपनी (Dard Bhari Shayari) शायरी सुनाने क पीछे की कहानी बताता हूँ| दोस्तों हम जवानी की उम्र में किसी न किसी से तो प्यार कर ही लेते है और कई बार सामने वाला रिश्ता निभाता है और कई बार नहीं ,और कई बार वो दोखा दे ही जाता है |
मेरे साथ बी कुछ ऐसे ही हुआ| आज मे आपको इसी टॉपिक पर दर्द भरी शायरी (Dard Bhari Shayari) सुनाता हूँ | शायद आपके साथ बी किसी ने कुछ ऐसा किया हो |
Best Dard Bhari Shayari in Hindi
* यह इश्क का जुआ हम भी,
खेल चुके हैं दोस्त,
रानी किसी और की हुई और,
जोकर हम बन गए।
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* कितना और दर्द देगा बस इतना बता दे,
ऐसा कर ऐ खुदा मेरी हस्ती मिटा दे,
यूं घुट घुट के जीने से तो मौत बेहतर है,
मैं कभी न जागूं मुझे ऐसी नींद सुला दे |
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* कैसे बताओ की तेरी यादों ने,
मुझे किस तरह सताया है,
कभी अकेले में हँसा दिया तो,
कभी अकेले में रुलाया है |
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* यूँ तो हर एक दिल में दर्द नया होता है,
बस बयान करने का अंदाज़ अलग होता है,
कुछ लोग आँखों से दर्द को बहा लेते हैं,
और कई हँसी में भी दर्द छुपा लेते है |
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* दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
* खामोश फ़िज़ा थी कोई साया न था,
इस शहर में मुझसा कोई आया न था,
किसी ज़ुल्म ने छीन ली हम से हमारी मोहब्बत,
हमने तो किसी का दिल दुखाया न था |
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* प्यार सभी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पे मरना सिखा देता है,
प्यार नहीं किया तो करके देख लो यार,
ज़ालिम हर दर्द सहना सिखा देता है।
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* दाद देते है हम तुम्हारे,
नज़र अंदाज़ करने के हुनर को,
जिस ने भी सिखाया है,
वो उस्ताद कमाल का होगा |
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* जो नजर से गुजर जाया करते हैं,
वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं,
कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते,
बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं |
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* तुमने तो कहा था,
हर शाम तेरा हाल पूछा करेंगे,
तुम बदल गए हो या,
तुम्हारे शहर में शाम नहीं होती।
* बंसिरी से सीख ले ए ज़िन्दगी सबक जीने का,
कितने छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती रहती है|
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* बेताब हम भी थे दर्द जुदाई की कसम,
रोता वो भी होगा नज़रें चुरा चुरा कर |
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* मैं खुश हूँ कि तेरी नफ़रतों का अकेला वारिस हूँ,
वरना मोहब्बत तो तुझे बहुत से लोग करते है|
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* हम अजनबी थे जब तुम बातें खूब किया करते थे,
अब सना साईं है तो तुम हमको याद भी नहीं करते |
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* रख लो दिल में संभाल कर थोड़ी सी याद मेरी,
रहे जाओ गए जब तनहा तो काम आएंगे हम |
* हो जा मेरा के इतनी मोहब्बत दुगा तुझे,
लोग भी हसरत करेंगे तेरे जैसा नसीब पाने को |
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* बहुत अजीब सिलसिले है मोहब्बत इश्क मैं,
कोई वफ़ा के लिए रोया तो कोई वफ़ा कर के रोया |
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* तड़पता देख कर तरस तुम जाओ गए,
हुए तुम अगले बरस तुम भी जाओ गए |
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* ज़रूरी तो नहीं ज़बान से कहे दिल की बात,
ज़बान एक और भी होती है इज़हार मोहब्बत की |
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* दर्द की शाम हो या सुख का सवेरा हो ,
सब गवार है मुझे साथ बस तुम्हारा हो।
* बहोत दर्द छुपे हैं रात के हर पहलू में,
अच्छा हो के कुछ देर के लिए नींद आ जाये।
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* अगर खुश है तो मुझसे दूर रहकर,
तो खुदा करे तु मुझसे कभी न मिले।
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* मुस्कुराने से भी होता है दर्द-ए-दिल बयां,
किसी को रोने की आदत हो ये जरूरी तो नहीं।
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* ग़म सलीके में थे जब तक हम खामोश थे,
जरा जुबान क्या खुली दर्द बे-अदब हो गए।
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* वो मेरी ग़ज़ल पढ़ कर पहलू बदल के बोले,
कोई छीने कलम इनसे ये तो जान ले चले हैं।
* पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है,
फैलता जाता है फिर आँख के काजल की तरह।
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* हमें देख कर जब उसने मुँह मोड़ लिया,
एक तसल्ली हो गयी चलो पहचानते तो हैं।
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* अब दर्द उठा है तो गज़ल भी है जरूरी,
पहले भी हुआ करता था इस बार बहुत है।
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* मुझसे ऐ आईने मेरी बेकरारियाँ न पूछ,
टूट जाएगा तू भी मेरी खामोशियाँ सुन के।
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* जब्त कहता है कि खामोशी से बसर हो जाये,
दर्द की जिद है कि दुनिया को खबर हो जाये।
* वो लफ्ज कहाँ से लाऊं जो तुझको मोम कर दें,
मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से।
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* तरस आता है इन मासूम सी पलकों पर,
जब भीग कर कहती है, अब रोया नहीं जाता।
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* ग़म सलीके में थे जब तक हम खामोश थे,
जरा जुबान क्या खुली दर्द बे-अदब हो गए।
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* मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो,
ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं है।
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* न कर तू इतनी कोशिश,
मेरे दर्द को समझने की,
तो पहले इश्क़ कर फिर चोट खा,
फिर लिख मेरे दर्द को सुनने की |
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* आखिर गिरते हुवे सांसो ने,
मुझे पूछ ही लिया,
निकाल दिया न मुझे उस के लिए,
जिस के लिए तो कुछ भी नहीं |
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* मेरी मोहब्बातें भी अजीब थी,
मेरा फैज़ भी था कमाल,
कभी सब कुछ मिला बिना तलब के,
तो कभी कुछ ना मिला सवाल पर |
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* तड़प रही है हर एक तम्मना,
न तुमसे मिलते न ऐसा होता,
भुजी भुजी सी है दिल की दुनिया,
न तुम से मिलते न ऐसा होता |
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* अगर मैं लिखूं तो पूरी किताब लिख दूँ,
तेरे दिए हर दर्द का हिसाब लिख दूँ,
डरती हूँ कहीं तू बदनाम ना हो जाए,
वरना तेरे हर दर्द की कहानी,
का हर ख्वाब लिख दूँ।
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* कभी दर्द है तो दवा नहीं,
जो दवा मिली तो शिफा नहीं।
वो ज़ुल्म करते हैं इस तरह,
जैसे मेरा कोई खुदा नहीं।
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